परिदर्शन

जनेउवैअकें एक स्वायत्त संस्था है, ‍ जिसे वर्ष 1989 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा पंडित जवाहरलाल नेहरू की जन्म शताब्दी के स्मरणार्थ स्थापित किया गया है । भारत रत्न प्रो. सी.एन.आर. राव निधियन अध्यक्ष थे । डॉ. राजा रामण्णा (प्रतिभासंपन्न भौतिकविद तथा DAE (पउवि) के भूतपूर्व अध्यक्ष (चेयरमैन) को अपने प्रथम अध्यक्ष के रूप में इस केंद्र को एक सोसाइटी (संघ) के रूप में पंजीकृत कर लिया गया है । वर्ष 2002 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, भारत सरकार द्वारा इस केंद्र को एक मान्यता प्राप्तेय (सम) विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता दी गई है । प्रो. गिरीधर यू. कुलकर्णी केंद्र के वर्तमान अध्यक्ष हैं तथा प्रशासी परिषद के अध्यक्ष गोवर्धन मेहता, एफआरएस रहे हैं । प्रबंध परिषद, केंद्र के सभी प्रमुख कार्यकलापों का पर्यवेक्षण करती है, जिसमें सम्मिलित होते हैं, उपाधियाँ स्वीकृत करना, नये संकायों की नियुक्ति तथा नये कार्यक्रमों को प्रारंभ करना आदि । केंद्र की शैक्षिक परामर्शी समिति (एएएल) शैक्षिक कार्यक्रमों तथा उपाधियों को प्रदान करना आदि का अनुक्रमण करती है । इस संस्था के अध्यक्ष ही प्रधान होते हैं तथा उनकी सहायता प्रशासानिक अधिकारी तथा अपने-अपने विभागों के प्रभारी अधिकारी करते हैं । चार संकायाध्यक्ष (डीन), शैक्षिक अनुभाग, विस्तरण कार्यक्रम, अनुसंधान एवं विकास तथा संकाय कार्यों का परिदर्शन (सिंहावलोकन) करते हैं।

केंद्र पर अनुसंधान उन एककों (विभागों) में संचालित किया जाता है, जिन्हें प्राथमिक अनुसंधान के ध्यान केंद्र के आधार पर विभाजित किया जाता है । ये एकक हैं, रासायनिकी तथा पदार्थ भौतिकी, अभियांत्रिकी यांत्रिकी, विकासवादी तथा समेकित जैविकी, आण्विक जैविकी तथा आनुवंशिकी, सैद्धांतिक विज्ञान, नव-रासायनिकी, भू-गतिकी, तंत्रिका (नाड़ी) विज्ञान तथा शिक्षा प्रौद्योगिकी । इनके अतिरिक्त, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के निधियन से स्थापित अंतर्राष्ट्रीय पदार्थ विज्ञान केंद्र, सहयोगात्मक अनुसंधान का संवर्धन करता है । यद्यपि विभिन्न एककों में विभाजित होने पर भी जनेउवैअकें में अनुसंधान अत्यंत ही विज्ञान की अंतर्शाखा तथा सहयोगात्मक प्रकृति का रहा है । उच्चतर अध्ययन की शैक्षिक संस्था होने के कारण से जनेउवैअकें का प्राथमिक लक्ष्य सु-प्रशिक्षित पीएच.डी. तथा एम.एस. विद्यार्थियों को तैयार करने का रहा है । विगत 30 वर्षों में हमारे पुराने विद्यार्थियों ने अकादमियों तथा उद्योगों में प्रमुख स्थान प्राप्त किया है । जनेउवैअकें ने राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर असंख्य पुरस्कार एवं प्रतिष्ठाएँ प्राप्त कर ली हैं । केंद्र (नैक) NAAC के साथ A++ श्रेणी (4 अंकों में 3.76 अंकों से) प्रत्यायित है, जो उच्चतर शिक्षा  एवं अनुसंधान के क्षेत्र में, भारत में परमोच्च शैक्षिक संस्थाओं में हमारे स्थान को प्रतिबिंबित करता है । जनेउवैअकें ने वि.वि.यों में 4वाँ स्थान (रैंक) प्राप्त किया है  वर्ष 2017 के लिए एनआईआरएफ के रैंकिंग में समग्रश्रेणी में 11वाँ रैंक प्राप्त किया है । वर्ष 2020 में नेचर इंडेक्स ने जनेउवैअकें को तथा भारत में शैक्षिक संस्थाओं में जीवन-विज्ञान के अधीन चौथा रैंक तथा रासायनिकी एवं भौतिकी विज्ञान के अधीन 10वाँ रैंक तथा वैश्विक रूप से शैक्षिक क्षेत्र में 469वाँ रैंक तथा भारत में 11वाँ रैंक प्रदान किया गया है। सिमागों संस्था-रैंकिंग 2020 द्वारा जनेउवैअकें को भारत में सभी (विभागों) सेक्टरों में तीसरा रैंक तथा उच्चतर शिक्षा क्षेत्र के अधीन प्रथम रैंक प्रदान किया गया है । वष्र 2017 तथा 2018 में जनेउवैअकें ने क्लारिवेट अनलिटिकल इंडिया इन्नोवेषण पुरस्कार प्राप्त किया है।

     केंद्र के संकाय-सदस्यों ने भी अपार संख्या में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किए हैं । उनके अनुसंधान ने वैश्विक-ध्यान आकर्षित किया है तथा स्वीकृत एकास्वाधिकारों (राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय) के रूप में मान्यता प्राप्त की है तथा देश में तथा विदेशों में प्रतिष्ठित (संघों) असोसिएशनों में सदस्यताएँ तथा अधिसदस्यताएँ एवं संसार-भर के वि.वि.यों में आगंतुक संकाय के रूप में नामांकन आदि प्राप्त किया है।

यह केंद्र सामाजिक (संदर्भ) संगतता के कार्यक्रमों पर भी समान महत्व देता है। ग्रीष्म अनुसंधान अधिसदस्यता कार्यक्रम (एसआरएफपी) जिसे वर्ष 1991 में प्रारंभ किया गया था, वह निरंतरता से विगत 30 वर्षों से चल रहा है । इस कार्यक्रम की सफलता ने स्नातकपूर्व-विद्यार्थियों को लक्ष्य में रखकर अन्य अनेक कार्यक्रमों को प्रारंभ करने में परिणत होने दिया है । परियोजना अभिमुखी शिक्षा कार्यक्रम रासायनिकी तथा जैविकी में चयनित विद्यार्थी तीन वर्षों की अवधि के लिए प्रति ग्रीष्म काल के दौरान विस्तरित प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं । भारत में विद्यार्थी-समुदाय के केवल सीमित उप-समूह को व्याप्त करनेवाले ग्रीष्म प्रशिक्षण के अतिरिक्त शिक्षा प्रौद्योगिकी एकक, ने सी.एन.आर. राव हॉल ऑफ़ साइन्स के साथ तथा केंद्र के संकायों की सहायता से देश के अल्प कम सुविधाओं वाले क्षेत्रों को व्याप्त करते हुए अधिगम कार्यकलापों की व्याप्ति को विस्तरित किया है।

प्रकृति को समझ लेने में वृद्धि करने के अतिरिक्त किसी भी अनुसंधान संस्था का प्रमुख उत्तरदायित्व होता है कि वह मानवता के कल्याण के लिए अपने निष्कर्षों को रूपांतरित कर लें । अपनी स्थापना के समय से ही जनेउवैअकें ने 300 से भी अधिक एकास्वाधिकारों (पेटेंटों) का निर्माण किया है तथा स्वदेशी अन्वेषणों के आधार पर कुछ नवोद्यमों की स्थापना को प्रोन्नत किया है । इन उपलब्धियों की मान्यता में केंद्र को वर्ष 2015 में भारतीय एकास्वाधिकार कार्यालय (आईपीओ) द्वारा प्रेरणा-पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया है तथा एकास्वाधिकार-अभिमुखी आर एवं डी तथा आई.पी. प्रोन्नयन (अनुसंधान एवं ‍विकास तथा बौद्धिक संपत्ति प्रोन्नयन) में अपने महत्वपूर्ण उपलब्धियों की मान्यता में राष्ट्रीय बौद्धिक संपत्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

अब जनेउवैअकें वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्रों में एक अग्रणी केंद्र रहा है, ‍ जिसके पास रूपोंतरणीय कार्यकलापों की वर्धनात्मक क्षमता रही है तथा साथ ही देश में विज्ञान के प्रोन्नयन के लिए अपने अधिगम कार्यकलापों के प्रति प्रबल (दृढ़) प्रतिबद्धता रही है । उदीयमान विज्ञानियों के लिए रहने के लिए यह सार्थक स्थान रहा है।