अमिताभ जोशी

Prof.

अमिताभ जोशी

एफएएससी एफएनएएससी, एफएनए, एफआईएसईबी
प्रोफेसर

मुझे अनुवांशिकी विशेषज्ञ के रूप में प्रशिक्षित किया गया लेकिन मैंने अपने डॉक्टोरल कार्य के लिए विकासपरक जीव विज्ञान चुना।

मैं विज्ञान को करियर नहीं मानता बल्कि इसे ऐसा मानता हूं जैसे शास्त्रीय संगीतकार संगीत को मानते हैं।

मैं वास्तव में किसी भी तरह के टैक्सॉन या ट्रेट कॉमप्लेक्स के बजा विकासपरक प्रक्रिया में दिलचस्पी रखता हूं। इसके कारण, मैं मूल रूप से संरचना में नहीं, बल्कि अवधारणाओं में रूचि रखता हूं। मेरे लिए, संरचनाओं को समझने से आशय अपनी अवधारणों को परिष्कृत करना है, इसके उलट करना नहीं।

हमारी प्रयोगशाला में अनप्रयोगीय विकास / पारिस्थितिकी दृष्टिकोण अपनाया जाता है जिसमें जीवन-इतिहास विकास, घनत्व-निर्भर चयन और भीड़ के लिए अनुकूलन, जनसांख्यिकीय मापदंडों के विकास और अनुकूलन से संबंधित जिज्ञासाओं के समाधान के लिए अच्छी तरह से दोहराई जाने वाली फलमक्खी आबादी की प्रयोगशाला प्रणालियों और जनसंख्या स्थिरता, और विभिन्न पारिस्थितिक और विकासपरक गड़बड़ी के लिए स्थानिक रूप से संरचित और असंरचित आबादी की गतिशील और स्थिरता प्रतिक्रियाओं के दीर्घकालिक चयन और जनसंख्या गतिशीलता अध्ययन शामिल हैं। हम मूलत: अनुप्रयोगीय अनुसंधान करते हैं लेकिन साथ ही, कुछ सैद्धांतिक कार्य भी करते हैं और ये दोनों कार्य विश्लेषणात्मक और उद्दीपन आधारित होते हैं। घनत्व-आश्रित चयन के अध्ययन में और जनसंख्या की गतिशीलता और स्थिरता को प्रभावित करने में इसकी भूमिका के क्षेत्र में हम विश्व में अग्रणी हैं।

मैं अपने साथी प्रो. टी एन सी विद्या, और हमारे संस्थान के पूर्व विद्यार्थी प्रो. एन जी प्रसाद (आईआईएसईआर मोहाली) और सुतीर्थ डे (आईआईएसईआर पुणे) के साथ मिलकर विकासपरक सिद्धांत में प्रमुख अवधारणा संबंधी विषयों पर भी काम करता हूं जिसमें गैर-आनुवांशिक अंतर्निहितता, चयन और डार्विन की उपयुक्तता को पुन:परिभाषित करना और अनौपचारिकआनुवांशिकी एवं विकास समूह फाउंडेशन(एफओजीईजी) के तहत विस्तारित विकासपरक संश्लेषण उन्नायकों के दावों का मूल्यांकन करना शामिल है। इस कार्य में इतिहास / समाजशास्त्र तथा विज्ञान दर्शन के प्रमुख तत्व शामिल होते हैं।

मेरी अन्य प्रमुख रुचियों में उर्दू, पारसी और अंग्रेजी में कविता लिखना, इतिहास और सैन्य विज्ञान शामिल हैं।