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.ने.उ.वै.अ.कें. के बारे में

स्थापनावर्ष 1989

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा लिए गए सूत्रपातों के द्वारा जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (.ने.उ.वै.अ.कें.) वर्ष 1989 में भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरूजो स्वतंत्र भारत के वैज्ञानिक प्रगति तथा विकास के उत्कट अधिवक्ता थे - की जन्म शताब्दी के स्मरण के रूप में अस्तित्व में आया .ने.उ.वै.अ.कें. के प्रथम अध्यक्ष प्रो. सी.एन.आर. राव रहे, जो सद्यत: रासायनिकी तथा पदार्थ विज्ञान एकक (CPMU) तथा नव रासायनिकी एकक (NCU) से संबद्ध होने के साथ ही निदेशक - अंतर्राष्ट्रीय पदार्थ विज्ञान केंद्र (ICMS) भी हैं वर्ष 2019 से, प्रो. जी. यू. कुलकर्णी ज.ने.उ.वै.अ.कें. के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं

अपनी स्थापना के समय से ज.ने.उ.वै.अ.कें., धीरे-धीरे अपने परिसर को विस्तरित करता जा रहा है तथा अब दस सुसंस्थापित अनुसंधान एककों से युक्त होने का गर्व करता हैअर्थात, रासायनिकी एवं पदार्थ भौतिकी एकक (CPMU), अंतर्राष्ट्रीय पदार्थ विज्ञान केंद्र (ICMS), नव रासायनिकी एकक (NCU), विकासवादी तथा समेकित जैविकी एकक (EOBU), आण्विक जैविकी एवं आनुवंशिकी (MBGU), तंत्रिका विज्ञान एकक (NSU), अभियांत्रिकी यांत्रिकी एकक (EMU), तथा सैद्धांतिक विज्ञान एकक (TSU) ज.ने.उ.वै.अ.कें. हमेशा विज्ञान की अंतर्शाखाओं पर प्रमुख महत्व देता रहा है, जिसने अनेक परिसर स्थित सहयोगों का संपोषण किया है, जिसके द्वारा वैज्ञानिक चुनौतियों को सुलझाने हेतु विभिन्न प्रतिभासंपन्न विज्ञानियों तथा प्रभावशाली युवाओं को एकसाथ आने दिया है हाल ही में, केंद्र में और अधिक सक्षम पदार्थ विज्ञान कार्यक्रम उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ICMS, NCU तथा TSU के संकाय सदस्यों के संयोजन से उन्नत पदार्थ स्कूल की स्थापना की गई है उच्च श्रेणी के अनुसंधान के अनुसरण हेतु संकाय सदस्यों तथा विद्यार्थियों को समर्थ बनाने हेतु ज.ने.उ.वै.अ.कें. में सुसज्जित प्रयोगमूलक, संगणानात्मक तथा अंतर्संरचनात्मक सुविधाओं को उपलब्ध किया गया है तथा हमेशा वैज्ञानिक आवश्यकताओं के आधार पर संसाधनों तथा सुविधाओं के उन्नत श्रेणीकरण को सुनिश्चित किया जाता है

केंद्र का प्राथमिक लक्ष्य विद्यार्थियों को विश्व श्रेणी के शैक्षिक कार्यक्रम उपलब्ध कराने का रहा है वर्ष 2002 में इस केंद्र को मान्यता प्राप्त (सम) विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता दी गई है यह केंद्र पी.एच.डी. समेकित पी.एच.डी. साथ ही विभिन्न अंतर्शाखाओं में स्नातकोत्तर कार्यक्रम प्रदान करता है वर्ष 1990 से यह केंद्र स्नातक पूर्व स्तर के विद्यार्थियों को दो अल्पकालीन डिप्लोमा कार्यक्रम प्रदान करता आया है सद्यत: इस केंद्र में 300 से भी अधिक विद्यार्थी हैं, उनमें से अधिकांश पी.एच.डी. कार्यक्रमों के लिए नामांकित रहे हैं

विज्ञान में अपना अत्यधिक प्रभाव निहित होने के लिए उसे यह आवश्यक है कि वह समाज के साथ अपने संयोजित (संबंधित) कर ले तथा उनके साथ वैज्ञानिक विचारों तथा निष्कषों के साथ संपर्क में रहे अत:, केंद्र का महत्वपूर्ण लक्ष्यकार्यशालाओं, व्याख्यानों तथा विस्तरण कार्यक्रमों के द्वारा अधिगम कार्यकलापों में कार्य प्रवृत्त रहने का है प्रतिवर्ष, (विविध) बहु-कार्यक्रमों के अधीन विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के प्रयत्न के रूप में स्कूल के शिक्षकों तथा विद्यार्थियों को केंद्र पर आने तथा व्याख्यानों तथा प्रयोगमूलक प्रदर्शनों में उपस्थित रहने के लिए आमंत्रित किया जाता है यह केंद्र छात्र-मैत्री कार्यक्रम भी आयोजित करता है, जहाँ पर स्कूल के विद्यार्थी एक दिवसभर केंद्र का दौरा करते हैं तथा अनुसंधानकर्ताओं के साथ अंतर्क्रिया करते हैं

अब केंद्र ने 31 सफल वर्ष पूरे किए हैं अबतक इसने अनेक वैज्ञानिक भेदनों तथा सफल अन्वेषणों, अपार-प्रकाशनों तथा संकाय एवं विद्यार्थी पुरस्कारों को प्राप्त किया है इस केंद्र ने केवल देश में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी यशस्वी मान्यता प्राप्त है इस केंद्र ने वैज्ञानिक समुदाय को तथा समाज के प्रति ध्यान देने योग्य एवं विशिष्ट योगदान दिए हैं तथा अपने लक्ष्य कार्य के अनुसरण को जारी रख रहा है  

लक्ष्य

  • विज्ञान एवं अभियांत्रिकी में विश्व श्रेणी अनुसंधान स्थापित करना तथा संचालित करना
  • विज्ञान की अंतर्शाखाओं तथा सहयोगात्मक अनुसंधान का संपोषण करना ।
  • वैज्ञानिक अनुसंधान को सुसाध्य बनाने हेतु सन्नद्ध प्रयोगालयों, संगणनात्मक तथा अंतर्सरंचनात्मक सुविधाओं की स्थापना करना
  • विज्ञान एवं अभियांत्रिकी में उच्च गुणतावाले पीएचडी छात्रों के द्वारा क्षमता का निर्माण करना ।
  • विस्तृत विज्ञान अधिगम, नवल अधिसदस्यता एवं विस्तरण कार्यक्रमों के द्वारा स्कूल एवं कॉलेज के विद्यार्थियों में विज्ञान एवं अनुसंधान के बारे में जागरूकता की वृद्धि करना
  • समाज के साथ संयोजित करने हेतु चेतनायुक्त प्रयत्न द्वारा अनुसंधान को प्रयोगालय से समाज की ओर ले जाना